
प्यारी अनुराधा, शाम के बाद वाला अंधेरा अभी-अभी पसरा है। हवाएं पूरे उमंग के साथ बह रही हैं। जमीन को भिगोने के लिए आसमान में बादल तत्पर हैं। हवाएं अपने साथ इतनी कोमलता लिए है कि मानो कोई थपकी दे रहा हो। सबकुछ अपनी नीयत जगह पर है। गांव की रात जितनी सुकूनदायक होती है उससे कहीं सहेजने वाली शाम होती है। शाम इंतजार के खत्म होने का अवसर होता है। लौटने का अवसर होता है। बैठने और घंटों बतियाने की उम्मीद होती है। पिछले करीब बीस दिनों से घर पर हूँ। वही घर जिसका मैं आपसे जिक्र किया करता हूँ क्योंकि शहरों के कमरों को घर नहीं कहा जाता मुझसे। इस बात को लेकर आपने कई बार डांटा भी है कि घर बोलते हैं। कोशिश करता हूँ कई बार कि बोल पाऊं लेकिन मानस पटल पर वो शब्द जल्दी नॉक ही करता है। पिछले कुछ दिनों से मानसिक पीड़ा से गुज़र रहा हूँ। आपकी कही बातें याद आती हैं तो थोड़ा संबल मिलता है। उदासी के दिनों में हम उन्हें याद करते हैं जो उम्मीद बोते हैं, बनते हैं। इन दिनों आपकी याद आती है। हमारा मिलना एक संयोग था। ऐसा संयोग जिसकी कल्पना हम कभी नहीं किए होते हैं। किन्तु जब वो कल्पना वास्तविकता की जमीन पर चहलकदमी करती है तो लगता है, यह नियति थी। नियति ऐसी कि मुंबई जैसे महानगर में जहाँ जाने कितनी प्रतिभाएं और सपने खो जाते हैं, वहाँ मुझे अपना घर लगने लगे। मैं आपको नहीं जानता था। न आप मुझे जानती थीं, सिवाय मेरे शब्दों के और मेरी टूटी फूटी कविताओं के। किन्तु, हम दोनों एक शहर को जानते थे जहाँ हम दोनों की अपनी-अपनी स्मृतियाँ साँसें लेती हैं। हमारे मध्य एक शहर पुल बनकर आया और हमें मिला एक घर। आपको क्या मिला मुझे नहीं पता। जब मैं दिल्ली एयरपोर्ट पर खड़ा मुंबई पहुंचने की कल्पना कर रहा था और संशय में था कि मेरा ठिकाना कहाँ होगा तभी आपसे की बातचीत ने मुझे एक भरोसा दिया कि महानगरों में लोग खोते नहीं हैं मिल जाते हैं, ठहर जाते हैं। वे चार दिन मेरे जीवन के सबसे सुंदर चार दिनों में से एक थें। यकीन से इतर मुंबई की सड़कों पर हजारों गाड़ियों के बीच से गुजरती आपकी स्कूटी और उसके पीछे बैठा मैं तमाम कहानियों के किरदार को देखते, गुजरते कब बीत गया पता ही नहीं चला। दिन कितना छोटा हो सकता है यह तब मालूम हुआ मुझे। देखिए न बात कहाँ से शुरू की थी और कहाँ ले गया। परेशान दिनों में आपकी याद आने आना का तो कारण ही नहीं बताया। जब आपके माध्यम से आपको जाना तो यकीन हुआ हँसते चेहरे की पीछे दुख की कितनी नदियाँ बहती होगी। आपसे पूछा भी कि "आप इतना खुश दिखती हैं, अंदर से दुखी तो नहीं रहतीं?" आपने (शेष कमेंट बॉक्स में)
This post was published on 26th May, 2025 by Anuradha on her Instagram handle "@actress_anuradha (Anuraddha Singh)". Anuradha has total 43.0K followers on Instagram and has a total of 706 post.This post has received 730 Likes which are lower than the average likes that Anuradha gets. Anuradha receives an average engagement rate of 2.18% per post on Instagram. This post has received 37 comments which are lower than the average comments that Anuradha gets. Overall the engagement rate for this post was lower than the average for the profile.